क़ुरान कहता है ,हम सब एक हैं।
भारतीय मियाँ जी कहते/करते हैं हम अनेक हैं इसलिये दुसरी जात बिरादरी में शादी नहीं करते।
पर ढोंग की हद इतनी है के भारतीय मुस्लिमों में जाती होने से ही इंकार करते हैं ,क़ुरान और प्रोफेट की बातें दिखाने लगते हैं के कहाँ है जाती।
जब वेस्ट इंडीज़ ने भारत को T20 वर्ल्ड कप फाइनल में हरा दिया तो इन लोगों ने लिखा के "कलुआ जित गया " . यह वही लोग हैं जो आपस में कहते हैं "जोलहा की तरह लग रहा " ," कुंजड़ा कवाड़ी की तरह मत कर " .
पर कमाल यह है के यही लोग मौक़ा मिलते ही इस्लाम और इत्तेहाद के झंडा बरदार बन जाते हैं। क़ुरान दिखाने लगते हैं।
अरे भाई इस्लाम में नहीं है जातिवाद पर तुममे तो है।
बीमारी का इलाज किये बिना शरीर को स्वस्थ बताने का ढोंग चलता रहेगा तो शरीर की तो अकाल मृत्यु ही होगी । ..copied..