वोटर आज जितना असमंजस में है उतना कभी नहीं था, और क्यों ना हो? बार बार छला गया है वोह. उसके विश्वास को बार बार तोड़ा गया है, मगर फिर भी वो अपना वोट डालने का फ़र्ज़ निभाता चला गया है. आज फिर अवसर है रद्दी की टोकरी में डाल दो जो उस टोकरी के लायक़ है. ....