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TanvirSalim1
on 23/7/16
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मेरे मुसलमान भाइयों कितने फिरक़े हैं तुम्हारे अंदर, कितने बँटे हुए हो तुम. क्यों एक दूसरे के खून के प्यासे हो तुम? इतनी नफ़रत...बरेलवी, देवबंदी..अहले-हदीस...वग़ैरह..."हँसी की हसारात" बने हो....इस्लाम शांति का मज़हब है..मगर हम राह से भटके हुए लोग.