माना आवेश में आकर हम उल्टा सीधा बोल जाते है। मगर इसका मतलब ये तो नहीं की बाद में हम अपने अलफ़ाज़ वापस न ले सकें। हैदराबाद के एक विधायक महोदय ने अपनी एक भाषण में नफरत की बात की, जो की सरासर गलत है। ऐसी बात कोई नयी नहीं है। वोह अकेले नहीं हैं, नफरत की भाषा बोलने वाले। आप को दूर नहीं जाना होगा, Youtube पे आप देख सकें गे, ऐसे ऐसे अनगिनत भाषण। मगर फिल्म दिवार का यह डायलाग की "दुसरे के पाप गिना देने से अपने पाप तो कम नही हो जाते" भी सोलह आने सही है। चाहे वो व्यक्ति किसी धर्म का है, अगर ग़लत है तो ग़लत है। वोह हमारा साथी नहीं हो सकता है।