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by TanvirSalim1
on 4/10/16
मैं तो मानव हूँ कैसे मैं खुश हो जाऊं?
गंर्मी में ठंडक को ढूंडू सर्दी में गंर्मी की आस लगाऊं.
वर्तमान में भविष्य की चिंता हर पल मरता रहता हूँ.
इन चिंताओं से कैसे मैं मुक्ति पाऊं?
थोड़ा पाने पे और की इच्छा.
और के बाद और की इच्छा.
इन इच्छाओं से कैसे मैं मुक्ति पाऊं?
मैं तो मानव हूँ कैसे मैं खुश हो जाऊं?
-तनवीर सलीम.
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