बुनकरों के लिए सरकार द्वारा की गयी घोषणाओं का लाभ एक आम बुनकर को कितना मिलता है? शायद कुछ भी नहीं- सारा पैसा बिटोर लेते हैं बीच वाले लोग और कोआपरेटिव सोसाइटीज के मालिक| आम बुनकर आज भी भूखा और नंगा है| अगर हथ करघा उद्योग को पतन से बचाना है तो कच्चे माल की सप्लाई से लेकर तैयार माल के निकास का सारा दम्मोदार सरकार को लेना होगा| बुनकरों के लिए सत्तर के दशक में जितना कुछ इंदिरा गाँधी ने किया था शायेद फिर उतना कोई कर न सका|