बात कॉंग्रेस पार्टी की है- "कल आज और कल" के आंकलन में कल(सोनिया), आज (राहुल) और कल (प्रियंका) में पार्टी को संजीवनी बूटी कहीं से भी मिलती प्रतीत नहीं हो रही है.क्या राख के ढेर से पार्टी फिर उठ पाएगी? दस साल तक उसी डाल को काटते रहे जिस पे बैठे थे, ऐसे में अब पछतावे क्या होआत जब पक्षी चुग गये खेत..