बागों में न जाओ तुम भरी जवानी में.
फूलों में माली गिन लेगा बेख्याली में..
गर जाओ कभी तो भूले से न हंस देना.
सय्याद बुलबुल समझ लेगा नादानी में..
साहिल पे जाओ तो मौजों से रहो दूर.
बोसे की चाह में ये लपकें न रवानी में..
सेहरा में गर जाओ तो चादर न हटा देना.
कारवां बहक न जाये तुम्हें देख हैरानी में..
पर्वत पे गर जाओ तो आँचल न गिरा देना.
कितने बादल बरस जाएं गे उफ़! परेशानी में..
महफ़िल में जाओ तो तुम्हें याद रहे जानम.
तेरी खातिर तनवीर लड़े जंग हर दौर कहानी में..
-तनवीर सलीम