फ्रेंच, ब्रिटिश और डच वैज्ञानिकों ने मिलकर मनुष्य के बाल के 1000वें हिस्से के बराबर (molecular level) की मशीन बनाली है। इतने छोटे आकार की मशीन नए तरीके के उपकरण, सेंसर और बैटरीज बनाने में उपयोगी सिद्ध होगी। इन वैज्ञानिकों का यह कार्य आने वाले समय में कंप्यूटर साइंस और आई टी तकनीक में क्रांति लाएगी।
दुनिया कहाँ से कहाँ पहुँच रही है और हमारे यहाँ कुछ लोग 21शताब्दी में भी सैकड़ों वर्ष पूर्व घटित घटनाओं ( जैसे मक्के में बुत क्यों तोड़े गए, सुल्तानों और मुग़लों ने गलत काम क्यों किये,) शाहबानो केस का समर्थन क्यों, मंदिर मस्जिद इत्यादि विषयों को लेकर फेस बुक पर वर्ग विशेष को गालिया देने में और उनके प्रति नफरत फैलाने में निरन्तर अपना मूल्यवान समय लगा रहे हैं।
हम कर भी क्या सकते हैं सिवाय अफ़सोस के।
अफ़सोस।..copied..