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by vbabbar14
on 7/8/15

बात सही लगती हैं...

पहले अपनी बात कह दूं फिर वो पढ़ना जो मैं इतिहास से पढ़कर कॉपी पेस्ट कर रहा हूँ बात बस ये ही हैं

तीन बातो पर गर्व हैं सबको 1 राष्ट्रगान 2 रवीन्द्रनाथ टैगोर 3 पहला नोबेल

अब इतिहास पढ़ना ज़रूर, काम आएगा,

1911 में टैगोर का परिवार अंग्रेजों के काफी नजदीक हुआ करता था। परिवार के बहुत से लोग ईस्ट इंडिया कंपनी में नौकरी करते थे। रवीन्द्रनाथ टैगोर ने मन से या बेमन से जन गण मन अधिनायक जय हे भारत भाग्य विधाता गीत लिखा। इस गीत के सारे के सारे शब्दों में अंग्रेजी राजा जॉर्ज पंचम का गुणगान है। इसका अर्थ समझने पर पता चलता है कि यह गीत अंग्रेजों की खुशामद में लिखा गया था। 1911 में जॉर्ज पंचम जब भारत आए तो उनके स्वागत में ये गीत पहली बार गाया गया। जब वो इंग्लैंड लौट गया तो उसने वहां इस गीत का अंग्रेजी में अनुवाद करवाया। अंग्रेजी अनुवाद सुनकर वह बोला कि इतना सम्मान और इतनी खुशामद तो आज तक मेरे देश में नहीं हुई। वह बहुत खुश हुआ। उसने आदेश दिया कि जिसने भी ये गीत लिखा है उसे इंग्लैंड बुलाया जाए। रवीन्द्रनाथ टैगोर इंग्लैंड गए। जॉर्ज पंचम उस समय नोबेल पुरस्कार समिति का अध्यक्ष भी थे। उसने टैगोर को नोबेल पुरस्कार से सम्मानित करने का फैसला किया। बताया जाता है कि रवीन्द्रनाथ टैगोर ने पहले नोबल पुरस्कार लेने से मना कर दिया था। इस गीत को किसने लिखा जब यह बात महात्मा गांधी को मिली तो उन्होंने टैगोर को बहुत डांटा था। टैगोर ने इंग्लैंड की सरकार से कहा कि आप मुझे नोबेल पुरस्कार देना ही चाहते हैं तो मैंने गीतांजलि नामक एक रचना लिखी है उस पर मुझे दे दो लेकिन इस गीत के नाम पर मत दो। उन्होंने यह भी कहा कि और इस बात का प्रचार-प्रसार किया जाए कि मुझे नोबेल पुरस्कार दिया गया है वो गीतांजलि नामक रचना के ऊपर दिया गया है। जॉर्ज पंचम मान गया और रवीन्द्रनाथ टैगोर को सन 1913 में गीतांजलि नामक रचना के ऊपर नोबेल पुरस्कार दिया गया।
1919 में जलियांवाला कांड हुआ। इसी समय महात्मा गांधी ने टैगोर को एक कड़ा पत्र लिखा। कहा जाता है कि उस पत्र की भाषा बड़ी तल्ख थी। गांधीजी ने पत्र में लिखा कि अभी भी तुम्हारी आंखों से अंग्रेजियत का पर्दा नहीं उतरेगा तो कब उतरेगा, तुम अंग्रेजों के इतने प्रशंसक कैसे हो गए। इसके बाद गांधीजी टैगोर से मिलने गए और उन्हें समझाया। इसके बाद टैगोर ने जलियांवाला कांड का विरोध करते हुए नोबेल पुरस्कार लौटा दिया। सन 1919 से पहले जितना कुछ भी टैगोर ने लिखा वो अंग्रेजी सरकार के पक्ष में था और 1919 के बाद उनके लेख कुछ कुछ अंग्रेजों के खिलाफ होने लगे थे। बीबीसी ने एक सर्वे किया था। उसने पूरे संसार में जितने भी भारत के लोग रहते थे, उनसे पूछा कि आपको दोनों में से कौन-सा गीत ज्यादा पसंद है तो 99 % लोगों ने कहा वंदेमातरम। क्या है राष्ट्रगान का अर्थ इस राष्ट्रगान का अर्थ कुछ इस तरह से होता है,

“भारत के नागरिक, भारत की जनता अपने मन से आपको भारत का भाग्य विधाता समझती है और मानती है। हे अधिनायक तुम्ही भारत के भाग्य विधाता हो। तुम्हारी जय हो ! जय हो ! जय हो ! तुम्हारे भारत आने से सभी प्रांत पंजाब, सिंध, गुजरात, मराठा मतलब महाराष्ट्र, द्रविड़ मतलब दक्षिण भारत, उत्कल मतलब उड़ीसा (ओडिशा), बंगाल आदि और जितनी भी नदियां जैसे यमुना और गंगा ये सभी हर्षित है, खुश है, प्रसन्न है। तुम्हारा नाम लेकर ही हम जागते है और तुम्हारे नाम का आशीर्वाद चाहते है। तुम्हारी ही हम गाथा गाते है। हे भारत के भाग्य विधाता (सुपर हीरो) तुम्हारी जय हो, जय हो, जय हो।”

एक बात तो तय हैं अब अब कभी भी राष्ट्रगान सुनाई देगा तब ये कहानी ज़रूर याद आएगी...