पत्रिका "इंडिया टुडे" में प्रकाशित एक लेख के अनुसार सत्ता में आने के 18 महीने बाद भी मोदी सरकार ने न तो बड़े सुधारों की घोषणा की और न ही बॅंकिंग व्यवस्था को दुरुस्त किया . यही कारण है की शेयर बाज़ारों में "मोदी प्रीमियम" ख़तम हो चुका है. देश को पटरी पे वापस लाना आवश्यक है, अन्यथा विदेशों से निवेश की संभावना पे खतरा मंडरा रहा है, खास कर उस स्थिति में जब अमेरिका के bank ब्याज दर बढ़ाने की संभावना पे विचार कर रहे हों.