दाभोलकर अन्धविश्वास उन्मूलन के लिए सरकार द्वारा एक ऐसा कानून बनवाना चाहते थे जिससे जादू-टोना, भस्म-भभूत, चमत्कारी शक्तियाँ, अवतारवाद के नाम पर धोखा, उपरी छाया, अघोरी द्वारा तंत्र मंत्र करना, पुत्र प्राप्ति के लिए अनुष्ठान, अभिमंत्रित नगीने, पत्थर आदि, भुत प्रेतादि का मनुष्य के शरीर में प्रवेश, पशुबलि, नरबली, जादूगरी, कुत्ता काटे, साँप काटे का ईलाज, नामर्दगी और भांझपन का ईलाज आदि क़ानूनी रूप से न केवल वर्जित हो अपितु दंडनीय भी हो।