दुनिया में हज़ारों कारखाने ऐसे हैं जहाँ हथियार बनाए जाते हैं. इन के मालिकों को फ़ायदे नुक़सान का भी ख्याल रहता होगा. एक कुशल व्यापारी अपने सामान को बेचने हेतु बाज़ार ढूंढता है, और अगर बाज़ार आसानी से ना मिले तो बाज़ार बनाना होता है. आज दुनिया में यही हो रहा है. मौत के सौदागरों में एक होढ़ सी मची है. वो अपने हथियार को बेचना चाहते हैं, धन अर्जित करने के लिए. उनका साथ देते हैं तमाम देशों के नेता. क्यों की उनको भी ज़रूरत होती है पैसे की जो उनको देश के सिंघासन पे मज़बूती से बैठने के लिए आवश्यक है. मारे जाते हैं भोले भाले लोग, जो ग़लत जगह पे ग़लत समय पे किसी कारण वश उपस्थिति रहते हैं. क्या हल है इसका? कुछ भी नहीं. लालच का भी कोई हाल है? अगर है तो हम को भी अवगत करायें. मेहरबानी होगी...गुड नाइट..