by
TanvirSalim1
on 26/8/14
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"तेरे बिन "
यह हवा जो तेरे गाँव से आती है ,
तेरा हाले ग़म बता सब को रुलाती है ,,
दफ़न मिटटी में मुझ को भी ,
तेरे दर्द के किस्से सुनाती है ,,
इस कब्र के अज़ाब का क्या डर,
तेरी फ़िक्र यहाँ भी सताती है ,
परेशान गाँव में सब हैं तनवीर ,
इस कब्र से इक सिसकी क्यों आती है ...तनवीर सलीम