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TanvirSalim1
on 12/1/16
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जाड़े की एक सुबह-बेताबी से इंतेज़ार है सूरज की किरणों का...आयें और रोशनी से भर दें इस महॉल को जिसमें घुटन है..अंधकार है-लोग ना उम्मीद हैं..आत्म विश्वास खो रहे है..गुड मॉर्निंग...