कल रात गोरखपुर रेलवे स्टेशन के बाहर सर्दी में ठिठुरते हुए एक आदमी को देखा जो खुले आसमान के नीचे एक चादर लपेटे सोने की कोशिश कर रहा था फुट पाथ पे.
औरों की तरह मैं भी आगे बढ गया ..कहानियों में सुना था की नगर का राजा रात को भेस बदल पुर नगर में विचरण करता था. घूमता फिरता था जनता के बीच ये जानने के लिए की कोई दुखी तो नहीं है. कहाँ है आज इस नगर का नरेश? चलिए जाने दिया जाए..वोह सब कहानियों की बातें...आराम अच्छी चीज़ है ..मुँह ढक के सोइए..शुभ रात्रि.