कल महाराजगंज में विकास पे हुई एक गोष्टी में नवजवान तबके में विकास के बारे में उत्साह दिखा, तो दूसरी ओर बुध्य्जीविओं में थोड़ी हिचकिचाहट महसूस किया- उन्हें एक प्रकार का भैय सा है विकास से- उनकी बात भी सही है, पर उन्हें ये नहीं भूलना चाहिए की विकास प्रकृति का नियम है- पेड़ो में नयी कोंपलों का खिलना भी तो एक प्रकार का विकास ही है- अगर हम विकास या परिवर्तन को न अपनाते तो शायद आज भी गुफाओं में जीवन व्यतीत कर रहे होते| विकास आवश्यक है, पर हमें विकास की दिशा खुद तै करनी होगी, नाकि सरकार को या मल्टीनेशनल कम्पनीज को- तनवीर सलीम