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by shreeharikishan
on 29/11/19

#Priyankareddy

क्योंकि उसके गले में गणेश का लॉकेट था
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हाथ-पाँव बांधे गए उसके,
फेंका गया अनगिनत बार,
इस गाड़ी से उस गाड़ी में,
क्योंकि उसके गले में गणेश का लॉकेट था ||

जिला महबूब नगर था,
क्षेत्र शादनगर था,
राजधानी हैदराबाद,
जहाँ ओवैसी बन्धुओं की तानाशाही है,
घसीटा गया उसे,
सैकड़ों किलोमीटर तक,
ले जाया गया कल्वर्ट की ओट,
वो अपराधी सिद्धहस्त थे,
बचना था उन्हें CCTV कैमरे से,
ताकि पुलिस एक कहानी लिख सके,
ओवैसी के मन मुताबिक,
फिर सैकड़ो सियार टूट पड़े गिद्ध की तरह,
क्योंकि उसके गले में गणेश का लॉकेट था ||

पर्स फेंका गया उसका,
जिसमे थी रखी थी उसने,
माँ -बाप, भाई -बहनों की तस्वीर,
फाड़े गए उसके कपड़े,
तर्र.. तर्र.. चार्राक.....,
क्योंकि उसके गले में गणेश का लॉकेट था ||

सांसे चल रही थी,
पर उड़ गए थे प्राण उसके,
पर फिर भी,
गिद्धों ने नोचा उसे मिलकर,
क्योंकि वो बुतपरस्त थी,
क्योंकि उसके गले में गणेश का लॉकेट था ||

वह हिन्दू माता -पिता की संतान थी,
जो बेटी बचाने,
जो बेटी पढ़ाने,
और बेटी को कामयाब बनाकर,
देश को एक डॉक्टर दिए थे,
जला दी गई वो,
क्योंकि वो बुर्कानशीं नहीं थी,
क्योंकि उसके गले में गणेश का लॉकेट था !





गाँधी-गोडसे विमर्श से इतर इतना याद रखिये, जब-जब कोई प्रियंका रेड्डी यूँ नोची और जलाई जाएगी, गाँधी की आलोचना होगी। होगी, क्योंकि हमारे लिए इस प्रकार का देश 'टीम महात्मा गाँधी' ने ही स्वीकार किया था। लाखों निर्दोष लोगों की हत्या के बाद हुए विभाजन के बाद भी यदि ऐसा हिस्सा मिलता है जिसमें हमारी बेटियाँ केवल हिन्दू होने के कारण नोच डाली जाती हैं, तो उस विभाजन के दौर का हर व्यक्ति दोषी है, अपराधी है...
विभाजन के समय हिन्दू बाप अपनी बेटियों के हाथ मे जहर की पुड़िया थमाते थे, कि यदि कोई क्रूर राक्षस सामने आए तो उसके अत्याचार से बचने के लिए जहर खा कर मुक्त हो लेना। यदि विभाजन के बाद मिले हिस्से में भी आज बापों को वही करना पड़े, तो सोचिये कि दोषी कौन है...
किसी भी हत्या का समर्थन नहीं किया जा सकता, हम कर भी नहीं रहे, लेकिन कोई व्यक्ति कितना भी बड़ा क्यों न हो, यदि उसके निर्णय/उसकी जिद्द का दंश पूरी सभ्यता को भोगना पड़े तो उसकी आलोचना होगी...
हर भारतीय का स्वर सुना जाना चाहिए! आम व्यक्ति केवल मरने के लिए नहीं होता, यह देश उसी का है। वह बोलेगा, और चिल्ला कर बोलेगा... उसे सुनना होगा बुद्धिभोजियों, सुनना ही होगा...
वैश्विक राजनीति की मर्यादा से सत्ता भले बंधी हो, प्रजा नहीं बंधी... वह बोलेगी, चिल्लाएगी, गरजेगी...
प्रियंका रेड्डी के साथ हुआ अत्याचार पर भी प्रश्न पूछे जाएँगे। आज की सरकार से भी, और देश की पहली सरकार से भी... प्रश्नों की जद में दोनों हैं।