एक ज़रा सी ग़लती, और हर और मच गयी त्राहि त्राहि. मैं भोपाल गैस त्रासदी की बात कर रहा हूँ. मर गए हज़ारों लोग क्योंकि काम करने वाले लापरवाही से काम कर रहे थे. नहीं पालन कर रहे थे नियमों को. क्योंकि यहाँ 'सब चलता है'...करता कोई है, भरता कोई है. क़ानून तो है पर क़ानून तोड़ने वाले के लिए नहीं कोई सजा. मरता और पिस्ता है आम आदमी. शर्म! बहुत ज़्यादा शर्म!! हम सब के लिए.