आज के दिन भारत को एक नया संविधान मिला, जिसके मूल सिधान्तों की रक्षा की खातिर आज हर भारती जान की बाज़ी लगाने को तैयार है।
क्या खोया क्या पाया की कसौटी पे रखा जाये तो यह सच है की हम उन्नति के सोपानों पे आगे बढ़ते जा रहे हैं, मगर इस उन्नति में क्या हम सबको साथ लेकर चल रहे हैं? या उन्नति सिर्फ कुछ चुनिन्दा लोगों की ही है? अगर ऐसा है तो क्या संविधान बनाने वालों से कोई चूक हो गयी क्या? या उनको इसका आभास नहीं था की समय के साथ साथ हम सामाजिक,राजनीतिक और आर्थिक रूप से इतने दीवालिये हो जायेंगे की भूल जायेंगे उन कुर्बानियों को जिनकी वजह से देश आज़ाद हुआ।
एक बेताबी है मुल्क के लोगों में, जिसे नज़र अंदाज़ नहीं किया जा सकता है। माना हर तरफ शोर है, मगर फिर भी लोगों के दिलों में एक ख़ामोशी है- एक ऐसी ख़ामोशी, जो बता रही है की अब तूफ़ान आएगा। एक ऐसा तूफ़ान जो मिटा देगा उनको जो भारत के माथे पे कलंक बन चुके हैं। बच जायेंगे वही जिन पर आने वाली पीढ़ी गर्व कर सकेगी। स्वागत है, ऐसे तूफ़ान का-Tanvir Salim