आज अगर गाँधी जी ज़िंदा होते तो उनका हाल घर के उस बुज़ुर्ग की तरह होता जिसे सलाम करने तो सब जाते हैं पर सलाम के बाद धीरे से खिसक जाना सब चाहते हैं.
आज भी गाँधी के विचार उतना ही माने रखते है जितना की दशकों पहले. आवश्यकता इस बात की है की हम अपने जीवन को सरल बनायें. माया मोह के जाल में फँस हम भाग रहे हैं, केवल भाग रहे हैं, पर पा कुछ भी नहीं रहे हैं.