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TanvirSalim1
on 5/11/15
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अपने हाथों की लकीरों में बसा ले मुझको..
मैं हूँ तेरा नसीब अपना बना ले मुझको..
कल की बात और है मैं अब सा रहूँ या न रहूँ..
जितना जी चाहे तेरा आज सता ले मुझको..
तू कभी याद तो कर भूलने वाले मुझको... (क़तील शिफ़ाई )