अजीब विडम्बना है...मुसलमानों में जिनको कपड़ा बुनने का हुनर हुआ वह जोलाहा कहलाये,जिनको कपड़ा सिलने का हुआ वह दर्जी,जिनको साफ़ सफाई का हुआ वह मेहतर,जिनको रुई धुनने का हुआ वह धुनिया,जिनको कपड़े को रगने का हुआ वह रंगरेज,जिन्होंने सब्जी का कारोबार किया वह कुजडा,जिसने तेल का किया तेली,जिनको करतब दिखाने का हुनर हुआ वह नट,मदारी वगैरह-वगैरह।और इन सब को मुस्लिम विद्वानों ने अजलाफ,अरजाल(नीच/कमीना/निकृष्ट)लिखा है। और जिनको किसी काम का हुनर नहीं और मज़हब के नाम पर इन्ही अजलाफ,अरजाल की कमाई बैठे बिठाए खाते रहे वह सैयद,शेख,मिर्ज़ा,मलिक,बेग वगैरह हो गए और यही अशराफ(शोराफा/शरीफ)भी कहलाये।