One of my Post addressed to Mr. sha Rukh Khan in 2013 is still relevant today:
शाह रुख खान, मैं तुम्हारा कोई बहुत बढ़ा फेन नहीं हूँ। तुम्हारी फिल्मों से ज़यादा मुझे अमिताभ की फिल्मों में मज़ा आया है। मगर ये देख कर अफ़सोस हो रहा है की तुम्हारी भारतीयता को चुनाव्ती दी जा रही है। ऐसा करने वाले लोग अपना उल्लू सीधा करने के चक्कर में हैं, तुम्हारा नाम उछाल कर। इम्तेहान की घढ़ी है जवाब तो देना ही होगा। यहाँ तो लोगों ने गाँधी जी को भी नहीं बक्शा था।
सिर्फ यह कह देने से की "फिर भी दिल तो है हिंदुस्तानी", काम अगर न चले तो उतर जाओ मैदान में। भारत एक सेक्युलर मुल्क है, सब को बराबर का मौक़ा देता है। जो इन्सान जो ज़बान समझता है, उसको उसी ज़बान में समझाया जाये, तो उसका मज़ा ही कुछ और है। आज भारत को इंतज़ार है, अपने इस "बाज़ीगर" का। दिखा दो की इसमें सभी का खून शामिल है, यह किसी एक की जागीर नहीं।
सियासत में इक नयी पारी तुम्हारा इंतज़ार कर रही है। देश की अनगिनत जनता तुम्हारा इंतज़ार कर रही है।