On the birth anniversary of Munshi Prem Chandra-
अगर कोई भारत वर्ष के बारे में जानना चाहता है तो उसको मुंशी प्रेम चन्द्र के साहित्य को आवश्यक पढना चाहिए।
प्रेम चन्द्र उस समय भी अपने समय से बहुत ही आगे थे। समाज में व्यापक कुरीतिओं के साथ साथ उन्होंने मन में होते द्वन्द युद्ध का चित्रण मनो विज्ञान के स्तर से भी भली भांति किया। उनकी कहानियां उस दौर की थीं मगर आज भी वह उतनी ही सटीक बैठती हैं जितना की उस दौर में। उनको पढ़ते हुए ऐसा लगता है की जो कुछ हो रहा है, वोह सब हमारे आस पास ही हो रहा है, और शायेद हमारे साथ ही हो रहा है।
गोरखपुर के इस सपूत पे हम सब को गर्व है।