9/11 पे मैं अमेरिका के किसी न्यूक्लियर पावर प्लांट के कंट्रोल रूम में लगे टीवी से देख रहा अमेरिका के ऊपर होता हुआ हमला. सबकी आँख एकटक टीवी पे लगी थी मगर मेरा मॅन कहीं और था. एक चोर सा था दिल में, की कहीं यह काम मुसलमान आतंकवादी का हुआ तो? अमेरिका में दिल्ली के 1984 को दोहरा दिया गया तो? रेडियो पे बहुत से लोगों की ज़बान से सिर्फ़ गालियाँ निकल रही थी, इस्लाम के लिए. घर पे भी सबको डरा सहमा पाया. दोस्त एहबाब फोन पे एक दूसरे की हाल चाल ले रहे थे सहमे हुए, एक तूफान का डर था, जो आसमान को घेर बैठा था.
प्रेसीडेंट बुश ने टीवी पे बहुत ही साफ सॉफ लफ़्ज़ों में दुनिया भर के इस्लाम के मानने वालों को एक संदेश दिया, की इस्लाम से भटके हुए लोगों की यह हरकत है, उनको बक्शा नहीं जाएगा, मगर साथ ही साथ यह आश्वासन भी दिलाया इस्लाम के मानने वाले, अमेरिका में रहने वाले तमाम नागरिकों को, जो शांति से अपने धरम का पालन करते है, की उनकी सुरक्षा की ज़िम्मेदारी अमेरिका सरकार की है और सरकार ने इस वादे को निभाया भी. इक्का दुक्का घटना के अतिरिक्त हर ओर शांति रही. इसको कहते है लीडरशिप.