Sad truth about Maulana Azad...क्या आपको एक सच पता है के अगर मौलाना अबुल कलाम आज़ाद मत्रिपद की रिश्वत के बदले काका केलकर की रिपोर्ट जिसमे कर्मकारी यानी धंधे के हिसाब से आरक्षण की सिफारिश की गयी थी उसमे केवल धर्माधारित केवल हिन्दुओं के लिए शब्द जोड़कर मुस्लिम समुदाय के कसाई ,,,जुलाहे ,,रंगरेज़ ,,धोबी ,,वगेरा को आरक्षण से अलग नहीं किया जाता क्योंकि काका केलकर ने मांस का व्यवसाय करने वालों ,,,कपड़ा बुनने वालों ,,कपड़ा धोने ,,,, का व्यवसाय करने वालों वगेरा को आरक्षण की सिफारिश की थी लेकिन मौलाना कलाम के थोड़े से निजी फायदे को लेकर उन्होंने पुरे देश के मुसलमानो को आरक्षण से वंचित करवाते हुए केवल हिन्दुओं के लिए आरक्षण अधिसूचना में शब्द जुड़वा दिया ,,इससे मांस बेचने वाले खटीक तो आरक्षित हुए लेकिन कसाई वंचित हो गए ,,कपड़ा बुनने वाले कोली समाज को आरक्षण मिला लेकिन मुस्लिम अंसारी को नहीं मिला ,,धोबी रंगरेज़ और दूसरे कारोबारियों का भी यही हाल रहा ,,,पंडित नेहरू के चमचे के रूप में मौलाना को याद क्या जाएगा क़ौमे के हमदर्द के रूप में नहीं..From the wall of Akhtar Khan...