हाल के सालों में मुसलमानों ने बड़ी शिद्दत से यह महसूस करना शुरू किया है कि कांग्रेस, मुलायम सिंह यादव और लालू प्रसाद यादव जैसे नेता और उनकी पार्टियां उन्हें अपने चुनावी फ़ायदे के लिए महज़ वोट बैंक के तौर पर इस्तेमाल कर रही हैं. जबकि इनकी तरक्की और ख़ुशहाली में उन्हें कोई दिलचस्पी नहीं रही है.