हाल के अध्ययनों से पता चला है कि पिछले बीस-पच्चीस सालों में मौसम में तेजी से परिवर्तन हुआ है। लोगों के लिए ग्लोबल वार्मिंग और सुनामी का कहर ही नहीं ग्लेशियरों के पिघलने से बाढ़ के बढ़ते खतरे का अहसास आतंकित और अचंभित करने वाला है। ग्रीन हाउस गैसों से बढ़ते असर के कारण कई दूसरी समस्याएं भी पैदा होने लगी हैं। इससे दुनिया में एक तरह से मौसमी आंतक की छाया देखने को मिलने लगी है.