हार गयी हिन्दू -मुस्लिम की एकता की परम्परा, जो इस देश में सदियों से फलती और फूलती रही थी। वह ज़ख्म धीरे - धीरे नासूर बन गया, और आज बन गया है हमारे दामन पे लगा हुआ एक बदनुमा सा दाग। उस आग को आज भी हवा देकर जलाये रखा जाता है, ताकि घरों को फूँक कर, अवाम को बेवकूफ बना कर सिंघासन पर बैठ हुकूमत की जा सके.