हमारे जीवन के अँधेरे तभी दूर हो सकें गे जब हम में से कोई भूखा, नंगा और बे घर न हो।
एक बच्चा इस उद्ददेश से स्कूल जाये की जो कुछ उसे पढाया जाये गा, वह आगे चल कर उसके जीवन में काम आएगा।
बेरोज़गार भत्ते का लोली पॉप देने के बजाये सरकार के पास हमारे लिए नौकरी होगी।
नियमों का पालन होगा।चुनाव में हम वास्तविक मुद्दों पे वोट करेंगे, नाकि मज़हब और ज़ात को आधार बना कर।
हमारे लिए तरक्की के अवसर हमारी योग्यता के अनुसार होंगे, नाकि हम किसे जानते हैं के आधार पे।
हम आदर देंगे अपने बुजुर्गों को।
हमारे बुज़ुर्ग ऐसी छाप छोढ़ जायेंगे की हम को उन पर चलने में कोई शर्म नहीं महसूस होगी।
जब इस तरह की चीजें होने लगें गी तो हम कह सकें गे कि अन्धकार दूर हो रहा है-