सारी कहानी वोटों की है।चाहे वह समाजवादी पार्टी हो, या बहुजन समाज पार्टी। प्रमोशन में आरक्षण हो, या मुस्लिम आरक्षण। सब छोटे परदे के किरदार हैं। Big Picture से उनका क्या लेना देना है। सबको अपना उल्लू सीधा करने की पड़ी है।मुल्क जाए चूल्हे भाढ़ में। आप लोगों की सोच इतनी संकुचित होगी तो क्या यह देश कभी चीन और अमेरिका जैसे मुल्कों का मुकाबला करने में सक्षम हो पाए गा। क्या वक़्त नहीं आ गया है की इस देश की जनता जाति व धर्म से परे हट कर सोचना शुरू कर दे। अब उन्हें उसी check को दोबारा cash करने का अवसर न दीजिये।