लधु कथा
बहुत सालों के बाद वह मुंबई वापस लौटा था। एअरपोर्ट के पास लगी झुग्गी झोपड़ियों से होती हुई उसकी कार चली जा रही थी। उसके बच्चे पहली बार यह सब देख रहे थे। कितनी गरीबी, कितनी गन्दगी और किस तरह से लोग जी रहे थे। हर तरह के जानवर सड़क पे, तो हर तरह की गन्दगी नाली में बहती दिख रही थी। भूखे नंगे बच्चे उसकी कार को हसरत से देख रहे थे की शायेद कोई खाने की चीज़ उस कार से उनकी तरफ फेक दी जायेगी, मगर ऐसा कुछ न हुआ। कार एक आलिशान कोठी के गेट में जाकर रूक गयी जहाँ की दुनिया ही अलग थी। कोठी का गेट बंद होते ही कार में बैठे लोग भूल चुके थे वह सब कुछ जो बाहर की झोपढ़ पट्टी में वह देख आये थे।
एक दो हफ्ते इंडिया में बिता वह वापस अमेरिका आ गया। उस वक़्त अमेरिका में "कटरीना" नाम का एक विशाल तूफ़ान आया हुआ था, जिसके आगे अमेरिका जैसे सुपर पॉवर ने भी घुटने टेंक दिए थे। चारों तरफ खुदा का कहर बरपा था। बे पनाह लोग बे घर हो चुके थे। न जाने कितने भूखे प्यासे दर दर की ठोकरें खा रहे थे। लूट खसोट का बाज़ार गरम था।इस तबाही और बर्बादी से सारा अमेरिका काँप गया था। उसके भी टीवी पे लगातार दिल को हिला देने वाली खबरें लगातार आ रही थी। बच्चे सहम के एक कोने में दुबक गए थे। उनके चेहरे पे परेशानी साफ़ झलक रही थी। क्या हुआ अगर वोह तूफ़ान वहाँ से हजारों मील दूर था, मगर सब के दिल और दिमाग पे छा तो गया ही था?
ऑफिस से लौट कर उसने अपने बच्चों के सहमे हुए चेहरे को देखा। एक दो पल के लिए कुछ सोचा, और फिर जाकर टीवी को बंद कर दिया।
हर तरफ ख़ामोशी छा गयी। घर फिर से जन्नत सा हो गया....