राजनीति में एक साल का समय बहुत माने रखता है. आज श्री नरेन्द्रा मोदी की सरकार को सत्ता के गलियारों में घूमते एक साल हो रहा है. इस एक साल में प्रधान मंत्री जी ने भी काफ़ी चहल क़दमी कर ली है.
वादे पूरे करने के लिए किए जाते हैं, पर अभी "अच्छे दिन" के वादे का साकार हो पाना दिख नहीं रहा है. पर इतनी जल्दी निराश होने की ज़रूरत भी नहीं है. रोम भी एक दिन में नहीं बना था इसी कारण इस सरकार को और समय दिया जा सकता है. जनता का विश्वास जो तोड़ेगा, उसे जनता कभी माफ़ नहीं करेगी.
इस सरकार को चुने जाने के पीछे मुख्य कारण पिछली सरकार की कमियाँ थी, और अगर ये सरकार कसौटी पे खरी नहीं उतरी तो जनता के पास उस का हल है. और वो देखा जा चुका है दिल्ली के चुनाव के नतीजे में.
ख़तरे की घंटी बज चुकी है, पर अब भी आशा है की बहुत कुछ हो सकता है. सरकार के पास समय है, और अभी तक का प्रदर्शन ये बताता है की अच्छे दिन आ भी सकते हैं. शुभ कामनाओं के साथ- तनवीर सलीम