रक्षा बंधन पे अपनी बहनो की हिफ़ाज़त करने की बात महत्वपूण है पर क्यों ना बात की जाए दूसरों की बहनो की रक्षा की भी. वो बहन जो आज के समाज में सुरक्षित नहीं है. बसों में महफूज़ नहीं है. घर में महूज़ नहीं है. गर्भ में भी नहीं.
दंगे फ़साद में भी उनको ही भुगतना पड़ता है. पीड़ित होती रहती है पुरुष से आज की बहन. देश महान तभी होगा जब हम उनकी सुरक्षा की ज़िम्मेदारी लें गे. आख़िर उनके अच्छे दिन कब आयेंगे?