ये कैसे रहनुमा हैं जो लाशों की सियासत करते हैं? अपनी तिजोरी को भरने के लिए बस्तियाँ जला देते हैं. भाई को भाई का दुश्मन बना खून की नदियाँ बहा देते हैं. कब तक होगा ये नंगा नाच..कोई तो होगा जो रोक सके ये उत्पात...क्या कृष्ण को फिर आना होगा...यदा यदा धर्म अस्ते...ग्लानि.....या गाँधी को अब नमक की जगह शस्त्रा उठाना होगा