मेरा दृष्टि कोण ये है की धूल खुद हमारे चेहरे पे है, और हम आइना साफ़ करने में लगे हैं- ये बात मैं आज की राजनीती के बारे में कह रहा हूँ- समाज सवयं भ्रष्ट हो चूका है, फिर हम दलों और नेताओं के बारे में टिपण्णी क्यों करते हैं? आज हमारे नेता ये जान चुके हैं की कुछ भी वो कर लें, आज नहीं तो कल जीत उनकी ही होगी- आज भ्रष्टाचार में पूरी तरह से लिपटी होने के बावजूद मायावती किस शान से लखनऊ में बोल रही थी- न तो अपनी हार पे कोई शर्म थी और न ही अपनी की हुई हरकतों पे- जनता जब लाखों की संख्या में उसके पीछे है, तो उसे किस बात का भय होगा? तनवीर सलीम