मैं तो मानव हूँ कैसे मैं खुश हो जाऊं?
गंर्मी में ठंडक को ढूंडू सर्दी में गंर्मी की आस लगाऊं.
मैं तो मानव हूँ कैसे मैं खुश हो पाऊं?
वर्तमान में भविष्य की चिंता में हर पल मरता रहता हूँ.
इन चिंताओं से कैसे मैं मुक्ति पाऊं?
थोड़ा पाने पे और की इच्छा.
और के बाद और की इच्छा.
इन इच्छाओं से कैसे मैं मुक्ति पाऊं?
-तनवीर सलीम