मदरसों पे बहुत कुछ लिखा जा चुका है. मैं मदरसों का विरोध कदापि नहीं करता पर आशा करता हूँ की हमारे मदरसों से पढ़ कर निकलने वाले छात्र अपनी उस पढ़ाई से अपने और अपने परिवार को पाल सकने में सॅक्षम हो सकें. उनकी मेहनत वयर्थ ना जाए नहीं तो क्या फ़ायदा उस पढ़ाई का?