भारत में आरक्षण आज आवश्यक है. कल इसकी आवश्यकता होगी या नहीं ये तो आने वाला समय ही बता सकता है. सदियों से हुए अन्याय को ध्यान में रखते हुए हमारा ये कर्तव्य है की समाज के दबे कुचले लोगों को उस स्तर तक लाया जा सके की वह गर्व से सर उठा कर जी सकें. जनम लेते ही जिन के पैरों में बेड़ियाँ दाल दी गयी केवल इस कारण से की उन्होंने उस घर में जन्म लिया, उनके प्रति हमारा भी कुछ दायित्व बनता है. मार्टिन लूथर किंग की लड़ाई आसान नहीं रही होगी, पर जीत कर दिखा दिया की दुनिया में सच्चाई थोड़ी देर के लिए भयभीत तो हो सकती है, पर अगर आपका लगन सच्चा है तो जीत आपकी है. गुड नाईट.