भगत singh ने 28 साल की आयु में फाँसी के फंदे को चूम लिया ताकि आज हम आज़ाद भारत में जी सकें.आज जब एक बहस जारी है, देश के दो नायक (सुभाष चंद्रा बोस वा जवाहर लाल नेहरू के बारे में तो ये ज़रूरी हो जाता है जाना जाए क्या विचार था इस विषय पे स्वयं भगत Singh जी के-
भगत सिंह अपना निर्णय सुनाते हैं, "सुभाष आज शायद दिल को कुछ भोजन देने के अलावा कोई दूसरी मानसिक खुराक नहीं दे रहे हैं....इस समय पंजाब को मानसिक भोजन की सख्त ज़रूरत है और यह पंडित जवाहरलाल नेहरू से ही मिल सकता है."