पूर्वांचल से न जाने कितने लोग पलायन कर चुके हैं, रोज़ी रोटी की तलाश में- ये गमन इक आवश्यकता के कारण था, क्योंकि उनके पास कोई दूसरा विकल्प नहीं था-
अपनी माटी को त्यागना कोई आसान काम नहीं था, पर भूखे पेट कोई कब तक एक आशा के सहारे जी सकता है-
उनके सपनो को साकार करने वाले को कहाँ से लाया जाये?