न की विकास के मुद्दे पे, बल्कि जोड़ तोड़ और वोट बैंक की राजनीति पे आज तलवारें मयान से बाहर निकल चुकी हैं। सारा सवाल पैसा कमाने का है या तो कमाए हुए धन को कैसे बचाया जाए का है। इस जंग में किसी को याद नहीं है की क्या होगा आम आदमी का, जो की इस सर्दी के मौसम में ठिठुर रहा है, मगर वहां संसद में तो गरमा गर्मी है।