तुम वादे लेकर आते हो, अगर मैं इरादे लेकर आ गया तो क्या होगा?..कभी सोचा है तुम ने....वादे और इरादे की इस लड़ाई में कभी जनता से पूछना की उसके इरादे क्या है...तुम्हारे वादे तुम को ही खोखले नज़र आयेंगे.. और तुम उन वादों को झूट की चादर में छिपा भी ना सको गे...लाज के मारे कहीं जा भी ना सकोगे....क्या जी सकोगे ऐसी ज़िंदगी..