"कई वर्षों पहले हमने नियति को मिलने का एक वचन दिया था , और अब समय आ गया है की हम अपने वचन को निभाएं , पूरी तरह न सही , लेकिन बहुत हद्द तक. आज रात बारह बजे , जब सारी दुनिया सो रही होगी , भारत जीवन और स्वतंत्रता की नयी सुबह के साथ उठेगा."
जवाहर लाल नेहरू के इन शब्दों ने राष्ट्रा को एक विश्वास दिलाया की अब हमारा समय आ गया है. समय आया एक नये राष्ट्रा के निर्माण का. आज दशकों पश्चात हर कोई क्या खोया? क्या पाया? के चिंतन में वयस्त बीते हुए पलों में नेहरू के शब्दों को तोल रहा है.
दूर क्यों जाते हो देखो उस मुल्क को जो भी उसी समय जन्मा था. मेरी मुराद पाकिस्तान से है. मुझे तो गिलास आधा भरा ही नज़र आ रहा है.
बहुत कुछ और कर सकते थे और बहुत कुछ करने की आशा के साथ हमें आगे बढ़ना होगा....आप सभी को सवतन्त्रा दिवस की शुभ कामनायें....तनवीर सलीम