एक नया वर्ष अपने क़दमो को आहिस्ता आहिस्ता बढा रहा है। पुराना साल कुछ ही देर के बाद इहितास के पन्नों में छिप जायेगा। हम एक नयी उम्मीद के साथ आने वाले पल के साथ लग लेंगे। उम्मीद ही तो है जिस के ऊपर दुनिया कायम है। औरों की तरह हम भी हजारों हसरतें लिए जी रहे हैं।
नयी कोंपलों को देख हम भी नए नए ख्वाब के ताने बाने बीनने में मशगूल हो जाते हैं। माना की रात अँधेरी थी, मगर सूरज तो सुबह को निकले गा ही। कुछ मुरझाये फूल राह में हैं तो क्या हुआ, दरख्तों पे बे शुमार कलियाँ भी तो लहरा रही हैं, मानो कह रही है की क्यों न उम्मीद हो, आने वाला कल तो तुम्हारा है।
बिखेर दो खुशियों को, पोंछ डालो आंसुओं को क्योंकि आने वाला कल तुम्हारा है।
तुम्हारे हाथ में जादू है, तुम्हारे साथ हैं न जाने कितनो की दुआएं, सब ठीक हो जायेगा, बस अपनी जंग तुम जारी रखो।