इस्लाम में रिश्वत लेना गुनाह है (Do not engage in bribery (2:188). फिर ये शादी वग़ैरह में लोग ऊपर की आमदनी की बात क्यों करते हैं?. ऐसा ही मामला दहेज़ के साथ है, और जात बिरादरी इत्यादि. चलो आज समाज सुधारक बन एक नया तार छेड़ा जाए. हर धर्म को औशयकता है एक समाज सुधारक की.